ये घटना गुयाना के जोंस टाऊन की, जहां खुद को मसीहा मानने वाला कम्यूनिस्ट विचारधारा रखने वाला एक शख्स ‘जिम जोंस’ रहा करता था। सन् 1956 में उसने पीपल्स टेंपल नाम के एक चर्च की स्थापना की, उस चर्च को बनाने का मकसद था ज़रुरतमंद लोगों की मदद करना। लेकिन धीरे- धीरे सभी लोग उसकी बातों से प्रभावित होकर उसकी टीम में शामिल होने लगे।
बस फिर क्या था, जो लोग जिम के फॉलोवर्स थे उन्होंने खुद ही ज़हर खा लिया और जिन लोगों ने इसका विरोध किया उन्हे ज़बरदस्ती ज़हर देकर मार दिया गया। हालांकि, वो भयानक मज़र देख किसी के भी रुह कांप जाती। ये घटना गुयाना के जोंस टाऊन की, जहां खुद को मसीहा मानने वाला कम्यूनिस्ट विचारधारा रखने वाला एक शख्स ‘जिम जोंस’ रहा करता था। सन् 1956 में उसने पीपल्स टेंपल नाम के एक चर्च की स्थापना की, उस चर्च को बनाने का मकसद था ज़रुरतमंद लोगों की मदद करना। लेकिन धीरे- धीरे सभी लोग उसकी बातों से प्रभावित होकर उसकी टीम में शामिल होने लगे। एक वक्त आया जब जिम ने इंडियाना से अपने चर्च को केलिफोर्निया के रैडवुड वैली में शिफ्ट कर लिया। लेकिन अमेरिका से उनके विचार ना मिलने के कारण उन्होंने सबसे दूर जाकर गुयाना में अपने फॉलोवर्स के साथ बसने का फैसला कर लिया।
लेकिन वहां जाकर लोगों को पता चला कि ये वो टीम नहीं थी, जो कि वे खुद को बताया करते थे। बकायदा उनसे वहां 11 घंटे काम करवाया जाता था और रात को भी ज़ोर-जोर से बजने वाले स्पीकर्स के कारण वे सो नहीं पाते थे। लेकिन जब अमेरिकी सरकार ने वहां से उन लोगों को निकालने की कोशिश की तो जिम ने उसे सरकारी क्रूरता करार देते हुए लोगों से एक साथ आत्महत्या करने की अपील की।
बस फिर क्या था, जो लोग जिम के फॉलोवर्स थे उन्होंने खुद ही ज़हर खा लिया और जिन लोगों ने इसका विरोध किया उन्हे ज़बरदस्ती ज़हर देकर मार दिया गया। हालांकि, वो भयानक मज़र देख किसी के भी रुह कांप जाती।